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shri durga chalisa - durga aarti

श्री दुर्गा आरती - Shri Durga Aarti

जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी ।

तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी ॥

 

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

 

मांग सिंदूर विराजत, टीको मृगमद को ।
उज्ज्वल से दोउ नैना, चंद्रवदन नीको ॥

 

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

 

कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै ।
रक्तपुष्प गल माला, कंठन पर साजै ॥

 

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

 

केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्पर धारी ।
सुर-नर-मुनिजन सेवत, तिनके दुखहारी ॥

 

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

 

कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती ।
कोटिक चंद्र दिवाकर, सम राजत ज्योती ॥

 

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

 

शुंभ-निशुंभ बिदारे, महिषासुर घाती ।
धूम्र विलोचन नैना, निशदिन मदमाती ॥

 

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

 

चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे ।
मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे ॥

 

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

 

ब्रह्माणी, रूद्राणी, तुम कमला रानी ।
आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी ॥

 

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

 

चौंसठ योगिनी गावत, नृत्य करत भैरों ।
बाजत ताल मृदंगा, अरू बाजत डमरू ॥

 

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

 

तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता,
भक्तन की दुख हरता, सुख संपति करता ॥

 

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

 

भुजा चार अति शोभित, वर मुद्रा धारी ।
मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी ॥

 

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

 

कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती ।
श्रीमालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योती ॥

 

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

 

श्री अंबेजी की आरति, जो कोइ नर गावे ।
कहत शिवानंद स्वामी, सुख-संपति पावे ॥

 

ॐ जय अम्बे गौरी..॥